जब भी लड़ा, तब मात खाया… पुराने युद्धों में पाकिस्तान कितनी देर टिक पाया भारतीय सेना के सामने?

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नई दिल्ली,6 मई । “जंग के मैदान में वही जीता है, जिसके इरादे फौलादी होते हैं…” और जब बात भारतीय सेना की हो, तो यह कहावत हकीकत बन जाती है। इतिहास गवाह है कि जब-जब पाकिस्तान ने भारत से लोहा लेने की हिमाकत की, तब-तब उसे नाकों चने चबाने पड़े। हर जंग में पाकिस्तान ने अपने घुटने टेके हैं, और भारतीय सेना ने अपने पराक्रम से दुश्मन को उसकी औकात दिखा दी।

पाकिस्तान ने ऑपरेशन जिब्राल्टर के ज़रिए कश्मीर में घुसपैठ कर भारत को चौंकाने की कोशिश की। लेकिन भारतीय सेना ने चंद ही दिनों में मोर्चा संभाल लिया और लाहौर की दहलीज तक पहुंच गई। हवालात की हवा तक लगवा दी। पाकिस्तान को लगा था कि भारत असमंजस में रहेगा, लेकिन जवाब इतना तगड़ा था कि उन्हें युद्धविराम की भीख मांगनी पड़ी।

यह वो जंग थी जिसने इतिहास में भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखवा दिया। बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई में भारत ने खुलकर समर्थन दिया। पाकिस्तान ने हमला बोला, लेकिन उसे क्या मालूम था कि यह उसकी कब्र खोदने वाला फैसला होगा। मात्र 13 दिनों में भारत ने 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया। ढाका में तिरंगा लहराया और दुनिया ने देखा – जब भारत लड़ा, तो विजयी होकर लौटा।पाक सेना ने एक बार फिर धोखे से हमला किया – इस बार करगिल की बर्फीली ऊंचाइयों पर। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि भारतीय जवानों का हौसला तापमान से नहीं, देशभक्ति से गरम रहता है। ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत सेना ने एक-एक चोटी फिर से अपने कब्जे में ली। बंकर उड़ाए, दुश्मन खदेड़े और आखिर में पाकिस्तान को शर्मनाक शिकस्त झेलनी पड़ी।

पाकिस्तान की रणनीति हर बार एक जैसी रही – पहले घुसपैठ, फिर झूठा प्रोपेगेंडा और अंत में आत्मसमर्पण। भारतीय सेना ने हर बार जवाब न केवल गोली से दिया, बल्कि गौरवशाली इतिहास से भी। भारत की सैन्य ताकत, युद्ध नीति और सैनिकों का बलिदान हर युद्ध में चमकता रहा।

कितनी बार हराओगे, कितनी बार घुटने टेकोगे? भारत ने हर बार संयम और साहस का परिचय दिया, लेकिन जब जवाब देना पड़ा, तो दुश्मन को उसकी हद याद दिला दी।

“जब भी लड़ा, तब मात खाया…” ये सिर्फ एक पंक्ति नहीं, पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी है। इतिहास में जितनी बार उसने भारत के खिलाफ मोर्चा खोला, उतनी बार उसे हार का स्वाद चखना पड़ा। भारतीय सेना सिर्फ युद्ध नहीं लड़ती, वो शौर्य का इतिहास रचती है।

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