विराट कोहली टेस्ट क्रिकेट और कप्तानी छोड़ना नहीं चाहते थे… फिर आखिर कौन था जिसने खेल बिगाड़ दिया?
नई दिल्ली,15 मई । जब क्रिकेट की बात होती है, तो विराट कोहली का नाम सुनते ही आंखों के सामने एक जुझारू, आक्रामक और जुनूनी कप्तान की तस्वीर उभर आती है। मगर आज जब टेस्ट टीम की कप्तानी किसी और के हाथ में है और विराट एक सीनियर बल्लेबाज़ की भूमिका में नजर आते हैं, तो करोड़ों फैन्स के दिल में यही सवाल है — आख़िर ऐसा क्या हुआ कि विराट कोहली, जो टेस्ट क्रिकेट को अपना धर्म मानते थे, अचानक कप्तानी से हट गए? क्या यह सिर्फ व्यक्तिगत फैसला था या फिर इसके पीछे पर्दे के पीछे कोई बड़ा ‘खेल’ चल रहा था?
यह कोई छुपी बात नहीं है कि विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को एक नई जान दी। विदेशी सरज़मीं पर जीत हो, फिटनेस का जुनून हो या टीम में आक्रामकता का नया रंग — उन्होंने भारतीय क्रिकेट को एक नई पहचान दी।
कई साक्षात्कारों और करीबियों के हवाले से यह बात सामने आई है कि विराट टेस्ट क्रिकेट से कभी दूर नहीं होना चाहते थे। यहां तक कि कप्तानी को लेकर भी वे पूरी तरह समर्पित थे। वे मानते थे कि टीम इंडिया को और ऊंचाइयों तक ले जाना अभी बाकी है।
बात शुरू होती है 2021 में, जब विराट कोहली ने अचानक टी20 कप्तानी छोड़ने की घोषणा की। यह फैसला उन्होंने अपनी मर्जी से लिया था, लेकिन इसके तुरंत बाद उन्हें वनडे की कप्तानी से हटा दिया गया — और यहीं से चीज़ें बिगड़ने लगीं।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, BCCI के कुछ बड़े अधिकारियों से कोहली के मतभेद गहराने लगे थे। विराट ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि उन्हें वनडे कप्तानी से हटाने से पहले कोई बातचीत तक नहीं की गई थी। यह बयान बोर्ड को चुभ गया।
टीम इंडिया के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो विराट और कुछ सीनियर खिलाड़ियों के बीच खटास की खबरें भी आने लगी थीं। रोहित शर्मा के साथ उनके रिश्तों को लेकर अटकलें तेज थीं, हालांकि दोनों खिलाड़ियों ने कभी इसे खुलकर स्वीकार नहीं किया।
यह भी कहा जा रहा है कि टीम में ‘गुटबाज़ी’ शुरू हो गई थी — एक खेमा विराट के साथ, दूसरा उनके खिलाफ। इस माहौल में बोर्ड का झुकाव उस ओर गया जहां राजनीतिक समीकरण बेहतर बैठते दिखे।
2022 की शुरुआत में भारत ने दक्षिण अफ्रीका दौरा किया। यहां मिली हार के बाद अचानक विराट ने टेस्ट कप्तानी से इस्तीफा दे दिया। यह फैसला हर किसी को चौंका देने वाला था — क्योंकि विराट ने ना तो कोई संकेत दिया था, ना ही टीम मैनेजमेंट को पहले से बताया था।
कहा जाता है कि इस हार के बाद BCCI की ओर से कोई समर्थन या सकारात्मक बातचीत नहीं हुई, जिससे कोहली आहत हुए। यही वह क्षण था जब विराट ने खुद को सिस्टम से अलग करने का फैसला कर लिया।
विराट कोहली के हटने के बाद ना कोई विदाई समारोह, ना भावनात्मक पोस्ट, ना कोई बोर्ड की सराहना — यह सब क्रिकेट प्रेमियों को चुभ गया। लोगों ने सोशल मीडिया पर जमकर गुस्सा निकाला, और बोर्ड को “कृतघ्न” तक कहा।
क्या ये सिर्फ हार का नतीजा था?
क्या विराट के तेज़-तर्रार स्वभाव ने उन्हें राजनीति का शिकार बना दिया?
क्या कुछ चेहरे थे जो विराट के कद से असहज थे?
इन सवालों के जवाब आज भी धुंधले हैं। लेकिन एक बात साफ है — विराट कोहली कप्तानी छोड़ना नहीं चाहते थे, उन्हें छोड़ा गया।
क्रिकेट में अक्सर कहा जाता है कि “फॉर्म अस्थायी है, क्लास स्थायी” — विराट कोहली इस कथन के जीते-जागते प्रमाण हैं। पर जब मामला राजनीति बनाम परफॉर्मेंस का हो, तो महान खिलाड़ियों को भी कुर्सी छोड़नी पड़ती है।