मणिपुर हिंसा के दो साल: राज्य में हाई अलर्ट, जनजीवन प्रभावित

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नई दिल्ली ।3 मई 2025 । मणिपुर हिंसा को आज यानी 3 मई को दो साल हो गए हैं। इस दौरान 250 से ज्यादा मौतें हुईं। 50 हजार लोग आज भी विस्थापित हैं। जो 6 हजार एफआईआर दर्ज हुईं, उनमें करीब 2500 में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी। जो गंभीर अपराध हैं, उन पर सीबीआई या राज्य शासन कोई अपडेट नहीं दे रहा है।

शनिवार को मैतेई संगठन कोऑर्डिनेटिं कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI) ने लोगों ने सभी गतिविधियां बंद रखने और अपने कन्वेंशन में शामिल होने के लिए कहा है।वहीं, कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (KSO) और जोमी स्टूडेंट्स फेडरेशन (ZSF) ने भी कुकी आबादी वाले इलाकों में बंद बुलाया है।

मणिपुर में लगभग सभी जगह आज बाजार, दुकानें और स्कूल-कॉलेज बंद हैं और सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। कुकी समुदाय आज के दिन को डे ऑफ आइसोलेशन के रूप में मना रहा है। इधर, राज्य में तनाव को देखते हुए सुरक्षाबलों ने इम्फाल, चुराचांदपुर और कंगपोकपी में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है।

सुरक्षाबलों का 20 किमी का फ्लैग मार्च

मणिपुर हिंसा की दूसरी बरसी से एक दिन पहले (2 मई) सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च किया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की 34 बटालियन के DIG सुशांकर उपाध्याय ने बताया कि इस फ्लैग मार्च से लोगों में एक भरोसा पैदा होगा। लोगों को लगेगा कि हालात पर काबू पाने के लिए यहां एक न्यूट्रल (किसी के पक्ष में नहीं) फोर्स है।

DIG उपाध्याय ने ये भी बताया कि फ्लैग मार्च में 1000 जवान शामिल हुए। हमने इसे इम्फाल पुलिस के साथ कोऑर्डिनेशन में आयोजित किया था। हमने करीब 20 किमी का मार्च निकाला। हम लोगों में एक तरह का विश्वास और उपद्रवियों को चेतावनी देना चाहते थे।

13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन, नई सरकार की मांग तेज

मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन है, लेकिन मौजूदा विधानसभा भंग नहीं हुई है। सिर्फ निलंबित है। इसलिए कई नागरिक संगठन इसके विरोध में उतर आए हैं। सियासी ताकत पूर्व सीएम एन. वीरेन सिंह के हाथ में है, क्योंकि यहां भाजपा बिखरी हुई है। चार-पांच दिन पहले ही 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर राज्य में तत्काल लोकप्रिय सरकार बनाने की मांग की थी। पत्र पर भाजपा के 14 विधायकों ने साइन किए हैं।

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