अरब सागर में दो एयरक्राफ्ट कैरियर, भारत का पावर प्रोजेक्शन और चीन-पाकिस्तान की बेचैनी
नई दिल्ली 9 मई –अरब सागर में भारतीय नौसेना ने हाल ही में कुछ ऐसा कर दिया है कि चीन और पाकिस्तान के माथे पर पसीना आ गया है। पहली बार भारतीय नौसेना ने अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर – INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत – को एक साथ अरब सागर में ऑपरेशन के लिए तैनात कर दिया। यह सिर्फ सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश है जिसे पूरी दुनिया ने पढ़ा है।
एयरक्राफ्ट कैरियर बैटल ग्रुप: एक चलता-फिरता किला
जब कोई एयरक्राफ्ट कैरियर चलता है, तो वो अकेला नहीं होता। उसके साथ एक पूरा “बैटल ग्रुप” चलता है – जिसमें डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट, सबमरीन और सपोर्ट शिप्स होते हैं। ऊपर कैरियर पर लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर तैनात रहते हैं। इसे ‘फ्लोटिंग सिटी’ कहा जाता है – एक चलता-फिरता युद्धक्षेत्र, जो हवा, पानी और जमीन – तीनों डोमेन्स में दुश्मन से लोहा लेने में सक्षम होता है।
इस बार भारत ने दो कैरियर बैटल ग्रुप्स को एक साथ ऑपरेशन में उतारा, जिससे न केवल पड़ोसी देशों में हलचल मच गई बल्कि दुनिया की निगाहें भी इस पर टिक गईं।
पाकिस्तान क्यों हड़बड़ा रहा है?
पाकिस्तान के विश्लेषकों और मीडिया में यह चर्चा गर्म है कि भारत ने यह शक्ति प्रदर्शन उनके खिलाफ किया है। लेकिन सच यह है कि पाकिस्तान से भारत को कोई सीधा खतरा नहीं है। पाकिस्तान की नौसेना की ताकत सीमित है – कुल 9 फ्रीगेट, 8 सबमरीन और कोई एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं। ग्वादर पोर्ट पर चीन की मौजूदगी के बावजूद पाकिस्तान की समुद्री ताकत भारत से कहीं पीछे है।
फिर भी, पाकिस्तान इस कदम से बेचैन है। क्यों? क्योंकि उसे लगता है कि भारत उसे घेरने की तैयारी कर रहा है। हकीकत में भारत का संदेश पाकिस्तान से ज्यादा चीन के लिए है।
चीन के लिए कड़ा संदेश
चीन ने पिछले दशक में हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में अपनी मौजूदगी बढ़ाई है। चीन के लगभग 8-10 जहाज हमेशा IOR में गश्त करते रहते हैं। चीन ने जिबूती में पहला ओवरसीज नेवल बेस बनाया है और ग्वादर में निवेश कर रहा है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत चीन का लक्ष्य हिंद महासागर में अपनी पकड़ मजबूत करना है।
भारतीय नौसेना के इस डेमोंस्ट्रेशन से साफ संदेश गया है कि भारत IOR में डोमिनेंट नेवल पावर है और रहेगा। चीन की “String of Pearls” स्ट्रैटेजी को भारत ने जवाब दिया है – यह इलाका हमारा है और यहां कोई बाहरी ताकत पैर नहीं जमा सकती।
कमांडर विवेक पटवाल का बयान: सबकुछ शब्दों में नहीं कहा जाता
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक पटवाल ने इस एक्सरसाइज पर बयान देते हुए कहा –
“This demonstration underscores India’s commitment to safeguard national interests, maintain regional stability and foster partnerships in the maritime domain.”
यानि यह शक्ति प्रदर्शन भारत के राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखने, क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और समुद्री सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दिखाता है। अगर आप लाइन के बीच में पढ़ें, तो यह संदेश उन देशों के लिए है जो हिंद महासागर क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं – यानी चीन।
राफेल और सुखोई की भी एंट्री
इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना के मिग-29K के साथ भारतीय वायुसेना के राफेल और सुखोई Su-30 MKI फाइटर जेट्स ने भी हिस्सा लिया। यानी समुद्र से लेकर हवा तक भारत ने अपनी मारक क्षमता का प्रदर्शन किया। इस तरह की लॉन्ग-रेंज स्ट्राइक प्रैक्टिस भारत को मल्टी-डोमेन ऑपरेशन्स में और मजबूत बनाती है।
चीन-पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ीं
चीन के पास तीन एयरक्राफ्ट कैरियर हैं और वो चौथे पर काम कर रहा है। लेकिन वो ज्यादातर साउथ चाइना सी तक सीमित हैं। हिंद महासागर तक उनकी पहुँच अभी कमजोर है। भारत ने अपने दोनों कैरियर्स को अरब सागर में उतारकर दिखा दिया कि वह दो मोर्चों – पूर्व और पश्चिम – दोनों पर ऑपरेट कर सकता है।
पाकिस्तान की हालत उस मेहमान की तरह है जो दूसरों की शादी में खुद को दूल्हा समझ बैठा हो। पाकिस्तान का सीधा मुकाबला भारत से है ही नहीं। पाकिस्तान की नौसेना अपनी सीमित क्षमताओं के कारण चीन पर निर्भर है। लेकिन चीन की नौसेना के लिए भी IOR में ऑपरेट करना आसान नहीं है – लॉजिस्टिक्स, बेस सपोर्ट और दूरी की समस्याएं हमेशा बनी रहेंगी।
भारत का बड़ा संदेश दुनिया को
यह शक्ति प्रदर्शन सिर्फ दुश्मनों के लिए संदेश नहीं है, बल्कि दोस्तों के लिए भी भरोसा है। भारत ने अपने क्वाड पार्टनर्स (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) और अन्य सहयोगियों को यह दिखाया कि वह सिक्योरिटी प्रोवाइडर बन सकता है। चीन की बढ़ती दखलंदाजी को रोकना केवल पश्चिम की जिम्मेदारी नहीं है – भारत इस लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
चुनावी राजनीति का कोई संबंध नहीं
कुछ पाकिस्तानियों का यह तर्क है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ऑपरेशन चुनाव जीतने के लिए किया है। लेकिन क्या भारत जैसे देश में इतने बड़े मल्टी-लेयर नेवल ऑपरेशन सिर्फ चुनावी फायदे के लिए किए जा सकते हैं? नहीं। यह भारत की दीर्घकालीन स्ट्रैटेजिक विजन का हिस्सा है।
भारत ने यह करके दुनिया को दिखाया है – शब्दों से नहीं, कार्रवाई से। इंडियन ओशन भारत का इलाका है, और भारत यहां गेटकीपर है।
चीन और पाकिस्तान को यह संदेश साफ-साफ मिल गया है –
“हिंद महासागर में भारत का डंका बजता रहेगा।”