कैमरे के पीछे के गद्दार: जब भारत माता के सच्चे बेटे वर्दी पहनकर सीमा पर जान देते हैं, लेकिन कुछ चेहरे मुस्कराते हुए कैमरे के सामने खड़े होकर उसी माँ के सीने में छुरा घोंपते हैं।

0

20 मई ये जंग अब बंदूकों और टैंकों से नहीं, बल्कि कैमरों, स्मार्टफोनों और सोशल मीडिया फॉलोअर्स से लड़ी जा रही है। ये एक ऐसी लड़ाई है जिसमें पहली शिकार होती है—भारत माता का विश्वास। और शायद, आपका पसंदीदा यूट्यूबर अब दुश्मन देश का जासूस बन चुका हो।

ये कल्पना नहीं, हकीकत है। भारत अब एक नए तरह के जासूसी युद्ध का सामना कर रहा है। अब जासूस कोट और ब्रीफकेस लेकर नहीं चलते, बल्कि ट्रैवल व्लॉग्स और इंस्टाग्राम रील्स के जरिए देश को धोखा देते हैं। ये एक ऐसी कहानी है जिसमें ग्लैमर बन गया है छलावरण और लोकप्रियता बन गई है गद्दारी का साधन।

इस चौंकाने वाले खुलासे की शुरुआत हुई ऑपरेशन सिंदूर से—एक राष्ट्रव्यापी काउंटर-इंटेलिजेंस मिशन, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद शुरू किया गया। लेकिन जो सामने आया, वो सिर्फ हथियारों या स्लीपर सेल्स तक सीमित नहीं था। ये एक डिजिटल जाल था—फरेब, फुसलाने और देशद्रोह का।

इस पूरे जाल का केंद्र थी ज्योति मल्होत्रा, एक 34 वर्षीय ट्रैवल व्लॉगर, जिसे लोग “ज्योति रानी” के नाम से जानते थे। उसके यूट्यूब चैनल पर लग्ज़री होटल, खूबसूरत पहाड़, और चुलबुली बातें दिखती थीं। लोग उसे एक फ्री स्पिरिट समझते थे। लेकिन जांच एजेंसियों ने उसके कैमरे के पीछे की सच्चाई देखी—एक सजग और सुनियोजित मुखौटा।

ज्योति ने हमले से कुछ ही हफ्तों पहले कश्मीर और लद्दाख का दौरा किया था—वो भी उन इलाकों में जहां सेना की तैनाती सबसे ज्यादा संवेदनशील होती है। उसकी शूटिंग में सेना के कैंप, जवानों की मूवमेंट, और सीमाई इलाकों की रिकॉर्डिंग पाई गई। ये फुटेज उसने वॉट्सऐप, टेलीग्राम, और स्नैपचैट के जरिए पाकिस्तानी हैंडलर्स को भेजे थे। जो दिख रहा था वह एक ट्रैवल वीडियो था, पर असल में वह एक जासूसी रिपोर्ट थी—देशद्रोह की लाइव स्ट्रीमिंग।

उसकी विदेश यात्राओं की कहानी और भी खौफनाक थी—दो बार पाकिस्तान, एक बार चीन। परिवार को लगा वो दिल्ली काम से गई है, लेकिन असल में वो दुश्मन के अड्डे में बैठी थी। पाकिस्तान में उसने नवाज़ शरीफ की बेटी मरियम नवाज़ का इंटरव्यू किया, और दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के कार्यक्रमों में भी भाग लिया। एक आम भारतीय नागरिक को पाकिस्तान की राजनीतिक क्लास तक ऐसी पहुंच किसने दी?

और वो अकेली नहीं थी। नूंह (हरियाणा) से यूट्यूबर अरमान की गिरफ्तारी हुई, जो डिफेंस एक्सपो के वीडियो—जहां भारत के हथियार और युद्धक तैयारियां प्रदर्शित होती हैं—उसी पाकिस्तानी अधिकारी को भेज रहा था जिससे ज्योति जुड़ी हुई थी। उस अधिकारी का नाम था दानिश उर्फ एहसान-उल-रहीम, जो पहले पाकिस्तान उच्चायोग से जुड़ा था और जासूसी के आरोप में भारत से निष्कासित किया गया था।

अब सामने आ रही है एक भयावह साजिश—सोशल मीडिया के सितारे, देश के नए रोल मॉडल, फॉलोअर्स और लाइक्स के बदले देश बेचने को तैयार हैं। क्योंकि उन्हें कहीं भी जाने, कुछ भी शूट करने, और खुफिया इलाकों को आम वीडियो की तरह पेश करने की छूट मिल जाती है। एक ड्रोन देखकर लोग सतर्क हो जाते हैं, लेकिन एक व्लॉगर को देखकर कोई नहीं पूछता—”ये क्या कर रहा है?”

गिरफ्तारी के बाद क्या हुआ? शर्म नहीं, वायरल लोकप्रियता! ज्योति के फॉलोअर्स की संख्या अचानक 10,000 से ज्यादा बढ़ गई। इंस्टाग्राम पर 7,000 नए फॉलोअर्स। एक गद्दार सेलिब्रिटी बन गई। अंततः खुफिया एजेंसियों को उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स बंद करवाने पड़े।

जनरल बिपिन रावत की कही बात याद आती है। उन्होंने कहा था कि भारत को सिर्फ पाकिस्तान और चीन से नहीं, बल्कि तीसरे मोर्चे—”आंतरिक गद्दारों” से भी खतरा है। वो भविष्यवाणी अब साकार हो रही है।

ऑपरेशन सिंदूर के तहत हरियाणा से लेकर असम तक गिरफ्तारियाँ हुई । कई यूट्यूबर, शिक्षक, पत्रकार, और विश्वविद्यालय प्रोफेसर पाए गए जो देश की सैन्य जानकारी लीक कर रहे थे, पाकिस्तान के पक्ष में पोस्ट कर रहे थे, और भारत की हार की कामना कर रहे थे।

शहनाज़ परवीन, एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका, ने सार्वजनिक रूप से पाकिस्तानी सैनिकों के लिए प्रार्थना की। और अली खान महमूदाबाद, अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, ने ऐसे वक्त पर भड़काऊ बयान दिए जब राष्ट्र को एकजुटता की सबसे ज्यादा जरूरत थी।

ISI अब सोशल मीडिया पर भर्ती कर रही है। वो इंस्टाग्राम पर लोगों की विचारधारा, मानसिक हालत, वित्तीय स्थिति और ईगो का विश्लेषण कर जासूस बना रही है। उन्हें ऐसे लोग चाहिए जो नाराज़ हों, महत्वाकांक्षी हों, या सिर्फ लालची हों। और ऐसे लोग हमारे ही बीच मौजूद हैं—सेल्फी लेते, वीडियो शूट करते, भारत को बेचे जा रहे हैं।

ये जंग अब सीमा पर नहीं, हमारे व्हाट्सएप ग्रुप्स, इंस्टाग्राम फीड्स, और यूट्यूब चैनलों पर लड़ी जा रही है। एक ऐसा युद्ध जिसमें दुश्मन वर्दी नहीं पहनता, और खंजर कैमरे के भीतर छिपा होता है।

अब वक्त आ गया है—गद्दारों को “विचारधारा” का नाम देना बंद करें। ये विचार नहीं, विश्वासघात है। आज का दुश्मन गोली नहीं चलाता, वो वीडियो अपलोड करता है। वो फाइल नहीं चुराता, वो लाइव स्ट्रीम करता है।

असल जंग कश्मीर में नहीं है, असली जंग भरोसे की है। और वो भरोसा अब खतरे में है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.