“S-400: भारत के आसमान का अभेद्य प्रहरी और उस चुपचाप विजनरी की कहानी!”

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नई दिल्ली,10 मई । आज अगर कोई चीज़ दुश्मन की नींद उड़ाए हुए है, तो वो है भारत का S-400 एयर डिफेंस सिस्टम।

हर न्यूज़ रूम, हर सुरक्षा मीटिंग, हर रणनीतिक बहस में एक ही नाम गूंज रहा है—S-400

ड्रोन हो, लड़ाकू विमान हो या बैलिस्टिक मिसाइल—S-400 सबका एक ही जवाब है: “नो एंट्री!”
ये प्रणाली दुश्मन के इरादों को आसमान में ही कुचल देती है।

हाल ही में जब दुश्मन ने भारत के रणनीतिक ठिकानों को ड्रोन से टारगेट करने की कोशिश की, S-400 ने उन्हें हवा में ही ढेर कर दिया।
न कोई चेतावनी, न कोई समझौता।
सीधा एक्शन।

लेकिन इस टेक्नोलॉजी चमत्कार के पीछे एक ऐसा चेहरा है जिसे इतिहास उतनी ज़ोर से नहीं पुकारता, जितना वह हक़दार है।

नाम है—मनोहर पर्रिकर

ना कैमरों के सामने दिखावा।
ना बड़ी-बड़ी बयानबाज़ी।
बस साइलेंट एक्शन।

2016 का साल। दुनिया अमेरिका के इशारों पर चल रही थी।
भारत पर दबाव था—“S-400 मत लो, रूस से दूरी रखो।”
लेकिन तब देश के रक्षा मंत्री पर्रिकर थे।
उन्होंने दुनिया की फिकर नहीं की।
उन्होंने देश की फिकर की।

जब न्यूज़ चैनलों पर बहस हो रही थी, पर्रिकर चुपचाप $5.43 बिलियन का S-400 डील रूस के साथ फाइनल कर रहे थे।

उन्हें पता था कि युद्ध तब नहीं आता जब आप तैयार हों।
वो तब आता है जब आप सोचते हैं—“अभी समय है।”

पर्रिकर ने उस “समय” का इंतज़ार नहीं किया।

आज भारत का S-400 सिस्टम पाकिस्तान और चीन की नींद उड़ाए हुए है।
देश के बड़े-बड़े शहर, एयरबेस और सामरिक ठिकाने सुरक्षित हैं, क्योंकि एक इंसान ने दूरदर्शिता को चुना।

आज भी, हर उड़ता हुआ खतरा S-400 के सामने रुक जाता है।

और हर बार जब ये सिस्टम किसी मिसाइल को गिराता है, कहीं न कहीं, पर्रिकर का विज़न जीतता है।

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