उच्च न्यायालय अधिवक्ता अंजिनेश अंजय शुक्ला द्वारा प्रस्तुत परिवाद पर रायपुर न्यायालय ने फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप के विरुद्ध गैर-जमानती धाराओं में एफआईआर दर्ज करने का दिया आदेश
नई दिल्ली,8 मई । उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री अंजिनेश अंजय शुक्ला द्वारा प्रस्तुत परिवाद पर सुनवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी आकांशा बेक , रायपुर की अदालत ने चर्चित फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 196, 299 एवं 353 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। ये धाराएँ संज्ञेय तथा गैर-जमानती प्रकृति की मानी जाती हैं। इस प्रकरण में अधिवक्ता अंजिनेश शुक्ला स्वयं सह अधिवक्तागण निमिष किरण शर्मा एवं संदीप थोरानी ने पैरवी की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिनांक 18 अप्रैल 2025 को अनुराग कश्यप ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट (anuragkashyap10) के माध्यम से एक आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणी करते हुए लिखा— “मैं ब्राह्मणों पर मूतूंगा, कोई प्रॉब्लम?”। इस कथन से आहत होकर अधिवक्ता शुक्ला द्वारा संबंधित थाना प्रभारी के समक्ष 20.04.2025 को शिकायत दर्ज करवाई गई। श्री शुक्ला द्वारा बार–बार निवेदन करने के पश्चात् थाना प्रभारी तदोपरांत पुलिस अधीक्षक द्वारा भी उक्त के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई। पुलिस द्वारा उदासीनता तथा अकर्मण्यता से क्षुब्ध होकर श्री अंजिनेश अंजय शुक्ला ने जिला न्यायालय रायपुर में अनुराग कश्यप के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किए जाने की मांग करते हुए एक परिवाद प्रस्तुत किया था।
प्रकरण की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता शुक्ला ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा विभिन्न उच्च न्यायालयों के प्रासंगिक निर्णयों का उल्लेख करते हुए न्यायालय के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया कि उक्त टिप्पणी न केवल सामाजिक सौहार्द को भंग करने वाली है, बल्कि यह विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाली और दंडनीय अपराध की श्रेणी में आती है।
यह निर्णय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम सामाजिक उत्तरदायित्व और आपराधिक विधियों के संतुलन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप के रूप में देखा जा रहा है।