गहलोत का सवाल: ट्रंप ने सीजफायर और कश्मीर की कैसे ठेकेदारी ली?
जयपुर, 13 मई 2025 — राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति और केंद्र सरकार की विदेश नीति को लेकर सवाल उठाए हैं। गहलोत ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूछा, “ट्रंप ने सीजफायर और कश्मीर मसले की ठेकेदारी कैसे ले ली?”
ट्रंप के बयान पर राजनीतिक भूचाल
दरअसल, कुछ दिनों पहले डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान में दावा किया था कि उन्होंने दक्षिण एशिया में शांति बनाए रखने और भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में “महत्वपूर्ण भूमिका” निभाई थी। इसके अलावा उन्होंने कश्मीर मसले पर भी मध्यस्थता की इच्छा दोहराई थी। ट्रंप के इस बयान के बाद भारतीय राजनीति में हलचल मच गई है।
गहलोत का केंद्र पर हमला
गहलोत ने कहा कि भारत के संवेदनशील मुद्दों पर कोई विदेशी नेता कैसे हस्तक्षेप कर सकता है और केंद्र सरकार चुप क्यों है? उन्होंने केंद्र से जवाब मांगते हुए कहा:
“कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है, फिर एक विदेशी नेता ऐसी बातें कैसे कर सकता है? क्या भारत अब अपनी विदेश नीति में इतना कमजोर हो गया है कि कोई भी देश आकर मध्यस्थता की बात करे?”
विदेश मंत्रालय से स्पष्टीकरण की मांग
गहलोत ने केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय से आग्रह किया कि वे जनता को स्पष्ट करें कि ट्रंप का यह दावा कितना सही है और सरकार की प्रतिक्रिया क्या है। उन्होंने कहा कि ऐसे संवेदनशील मामलों में देश की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
विपक्ष का समर्थन
गहलोत के बयान के बाद विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को उठाया है और केंद्र सरकार से स्पष्ट रुख की मांग की है। कई नेताओं ने कहा कि अगर भारत की विदेश नीति को कोई भी बाहरी नेता चुनौती दे रहा है, तो यह सरकार की कमजोरी को दर्शाता है।
भाजपा की प्रतिक्रिया
हालांकि भाजपा नेताओं ने गहलोत के बयान को “राजनीतिक स्टंट” करार दिया है। पार्टी का कहना है कि गहलोत जैसे नेता जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रहे हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीति कर रहे हैं अशोक गहलोत के इस बयान ने एक बार फिर कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे को राजनीतिक बहस के केंद्र में ला दिया है। अब देश को यह देखने की प्रतीक्षा है कि केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय इस पर क्या आधिकारिक प्रतिक्रिया देते हैं, और क्या ट्रंप के दावों पर कोई कूटनीतिक विरोध दर्ज कराया जाएगा या नहीं।