बिकाश भवन बना संघर्ष का मैदान: भर्ती घोटाले में नौकरी गई तो सड़कों पर उतरे शिक्षक, पुलिस से हुई भिड़ंत

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नई दिल्ली,16 मई । पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। नौकरी गंवाने के बाद हज़ारों की संख्या में नाराज़ शिक्षकों ने सोमवार को कोलकाता स्थित बिकाश भवन के बाहर जबरदस्त प्रदर्शन किया। स्थिति तब बेकाबू हो गई जब प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जमकर झड़प हुई। लाठीचार्ज, आंसू गैस और गिरफ्तारी — राजधानी एक बार फिर उबल उठी।

प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना है कि उन्होंने पूरी ईमानदारी से परीक्षा दी थी, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत ने उनकी ज़िंदगी से खिलवाड़ कर दिया। कई ऐसे शिक्षक भी मौजूद थे जिनकी नौकरी पिछले वर्ष लगी थी लेकिन अब कोर्ट के फैसले के बाद रद्द कर दी गई।

सुबह से ही शिक्षक संगठनों ने बिकाश भवन की घेराबंदी शुरू कर दी थी। ‘न्याय दो, नौकरी लौटाओ’ और ‘भ्रष्टाचार बंद करो’ जैसे नारों से माहौल गरमा गया। भीड़ जैसे-जैसे बढ़ी, पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर रोकने की कोशिश की, लेकिन हालात ने हिंसक मोड़ ले लिया।

जब प्रदर्शनकारी जबरन भवन में घुसने की कोशिश करने लगे, तो पुलिस ने बल प्रयोग शुरू कर दिया। लाठीचार्ज में कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए। महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे देख लोग प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं।

घटना के बाद से ही बंगाल की राजनीति फिर से गरमा गई है। विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री पर सीधा हमला करते हुए कहा है कि यह सरकार शिक्षक विरोधी है और भ्रष्टाचार की जननी बन चुकी है। विपक्षी नेताओं ने इस आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की है।

घटना के बाद अभी तक राज्य सरकार की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। शिक्षा विभाग की ओर से सिर्फ इतना कहा गया है कि “विधिक प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जा रही है”। लेकिन नौकरी गंवा चुके युवाओं के आक्रोश को अब कोई बयान शांत नहीं कर पा रहा।

पश्चिम बंगाल का यह शिक्षक भर्ती घोटाला सिर्फ एक घोटाले की कहानी नहीं है, यह उन हज़ारों सपनों की चीख़ है जो सिस्टम की दरारों में दम तोड़ते जा रहे हैं। बिकाश भवन की दीवारें गवाह हैं — जब न्याय नहीं मिलता, तो सड़कों पर आंदोलन ही आखिरी उम्मीद बचता है।

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