तूफ़ान से पहले: युद्ध से पहले नागरिक कैसे तैयारी करें और कौन-सी जगहें सबसे बड़ा निशाना बनती हैं

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युद्ध’ — यह शब्द अपने साथ डर, अनिश्चितता और तबाही लेकर आता है। लेकिन इतिहास बताता है कि युद्ध अक्सर अचानक नहीं फूटते; उनके पहले तनाव की आहट सुनाई देती है। जब सरकारें अपनी सेनाओं को तैयार करती हैं, तब आम लोग क्या करते हैं? ज़्यादातर लोग मान लेते हैं कि सेना सब संभाल लेगी। यही सबसे खतरनाक भ्रम है।

युद्ध की संभावना हो, तो नागरिकों के लिए सबसे बड़ा हथियार बंदूक या बंकर नहीं, बल्कि तैयारी होती है।

आइए समझें — क्या सुरक्षित करना चाहिए, कैसे बचना चाहिए, और किन जगहों से दूर रहना चाहिए।

नागरिकों के लिए तैयारी की चेकलिस्ट
किसी भी युद्ध की स्थिति में सबसे पहला नियम है: घबराएं नहीं, तैयारी करें।

जरूरी चीज़ों का भंडारण करें:
पानी, सूखा और डिब्बाबंद खाना, ज़रूरी दवाइयाँ, बैटरी, फर्स्ट-एड किट। संयुक्त राष्ट्र कम से कम तीन दिन का खाना-पानी रखने की सलाह देता है, लेकिन असल में दो हफ़्ते की तैयारी बेहतर होती है।

पहचान पत्र और नकदी सुरक्षित रखें:
युद्ध में बैंकिंग सिस्टम लड़खड़ा जाता है। पासपोर्ट, पहचान पत्र, ज़मीन के काग़ज़, और नकदी तैयार रखें। डिजिटल लेनदेन सबसे पहले ठप पड़ता है।

‘गो-बैग’ तैयार रखें:
इसमें कपड़े, चार्जर, टॉर्च, नक्शे, पानी साफ़ करने की गोलियाँ, सीटी, और कुछ खाना रखें। यह ‘पागलपन’ नहीं, बल्कि जीवित रहने की रणनीति है।

जानकारी लेते रहें:
स्मार्टफोन पर भरोसा न करें; बैटरी से चलने वाला रेडियो रखें। युद्ध में सबसे पहले इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क बंद हो जाते हैं।

प्राथमिक चिकित्सा और आत्मरक्षा सीखें:
युद्ध में घायल होना, विस्थापित होना या लूटपाट झेलना आम बात है। बेसिक सीपीआर, पट्टी बाँधना, और सरल आत्मरक्षा उपाय सीखें।

सुरक्षित इलाकों और निकासी रास्तों को जानें:
सरकारें युद्ध के समय आश्रय स्थल घोषित करती हैं। उन्हें पहले से पहचानें और परिवार के साथ प्लान बनाएं।

कौन-सी जगहें सबसे बड़ा निशाना बनती हैं
जब युद्ध शुरू होता है, कुछ जगहें तुरंत दुश्मन के निशाने पर आ जाती हैं। उनसे दूर रहना ज़रूरी है:

पावर स्टेशन और ग्रिड:
बिजली देश की नसों में दौड़ता खून है। पावर प्लांट, बांध, न्यूक्लियर स्टेशन पहली मार झेलते हैं। 1999 में नाटो ने सर्बिया की 40% बिजली क्षमता पर हमले किए थे।

कम्युनिकेशन हब:
टीवी टावर, इंटरनेट केबल, सैटेलाइट डिश, टेलीफोन एक्सचेंज। रूस-यूक्रेन युद्ध में मिसाइल हमलों से पहले साइबर अटैक हुए थे।

परिवहन के मुख्य रास्ते:
हवाईअड्डे, रेलवे स्टेशन, बंदरगाह, और हाइवे। ये सैनिकों और शरणार्थियों के लिए अहम होते हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी ने ब्रिटेन के 20 एयरफील्ड्स और 9 बंदरगाहों को निशाना बनाया था।

पानी और सफ़ाई संयंत्र:
पानी न मिले तो जनसंख्या जल्दी बिखरती है। यमन युद्ध में 50% से ज़्यादा जल संयंत्र नष्ट हो चुके हैं, जिससे हैजा फैला।

सेना के ठिकाने और शस्त्रागार:
सेना की छावनियाँ और हथियारों के गोदाम स्वाभाविक निशाना होते हैं। इनके पास रहने वाले नागरिक सबसे ज्यादा खतरे में होते हैं।

सरकारी इमारतें:
संसद, मंत्रालय, पुलिस मुख्यालय, खुफिया कार्यालय — इन पर हमला मनोबल तोड़ने के लिए किया जाता है।

बड़े शहर और राजधानी:
प्रतीकात्मक रूप से राजधानी पर हमला करने से दुश्मन संदेश देता है। कीव, बगदाद, बेलग्रेड, ग़ज़ा इसके उदाहरण हैं।

मानसिक तैयारी भी ज़रूरी है
लोग शारीरिक तैयारी तो करते हैं, पर मानसिक दबाव को कम आँकते हैं। युद्ध में बम, अंधकार, विस्थापन रोज़मर्रा की ज़िंदगी तोड़ देते हैं।

परिवार में अभ्यास करें, मीटिंग पॉइंट तय करें।

बच्चों को उम्र के हिसाब से समझाएँ।

दूर के रिश्तेदारों के लिए कोड वर्ड तय करें।

मीडिया की भयानक खबरों से खुद को सीमित करें।

शरण स्थलों में भी दिनचर्या बनाए रखें।

जब समाज का ताना-बाना टूटने लगे

युद्ध का मतलब सिर्फ़ सेना की लड़ाई नहीं, लोगों के बीच भी तनाव। लूटपाट, अफ़वाहें, हिंसा — ये सब आम हो जाते हैं। इसलिए पड़ोसियों से दुश्मनी न पालें, बल्कि सामूहिक सुरक्षा समूह बनाएँ।

इतिहास साक्षी है:

2003 इराक़ युद्ध में 48 घंटे के भीतर अस्पताल, संग्रहालय और घर लूट लिए गए।

युगोस्लाव युद्ध में पड़ोसी ही एक-दूसरे पर हमला करने लगे।

द्वितीय विश्वयुद्ध के ब्रिटेन में भी ब्लैक मार्केट और लूट बढ़ी थी।

एक उकसाने वाला सवाल: क्या हम बहुत बेफ़िक्र हो गए हैं?
आज के शहरी नागरिक मानते हैं कि युद्ध या तो इतिहास की बात है या दूर के देशों में होगा। लेकिन यूक्रेन का युद्ध दिखा चुका है कि एक रात में शहर खंडहर बन सकते हैं।

2025 में औसत नागरिक को नहीं पता कि उसके घर के पास बंकर कहाँ है, पानी कैसे साफ़ करें, या जख्मों की पट्टी कैसे बाँधें। हम पूरी तरह सरकारों पर निर्भर हैं।

क्या हमें बेहतर नागरिक रक्षा कार्यक्रम की माँग नहीं करनी चाहिए?
क्या स्कूलों में पहली मदद, संकट प्रबंधन और आत्मरक्षा सिखाई जानी चाहिए?
क्या हमारी सरकारों को आश्रय स्थलों की तैयारी और नियमित ड्रिल नहीं करनी चाहिए?

स्विट्ज़रलैंड में हर घर में बम शेल्टर उपलब्ध है। इज़राइल में बच्चे आपातकालीन प्रशिक्षण पाते हैं। पर अधिकतर देश इस पर ध्यान नहीं देते।

आख़िरी शब्द: आशा रखें, भ्रम नहीं
कोई युद्ध नहीं चाहता। लेकिन सिर्फ़ शांति की कामना पर्याप्त नहीं। नागरिकों को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से तैयार रहना होगा। अगला युद्ध सिर्फ़ सीमाओं पर नहीं लड़ा जाएगा, वो हमारे दरवाज़े पर दस्तक देगा।

एक तैयार समाज ही जीवित रह पाता है — और शायद, वही समाज युद्ध को रोकने का सबसे मजबूत संदेश देता है।

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