केदारनाथ यात्रा में घोड़े-खच्चरों पर रोक : जनता बेहाल, प्रशासन सतर्क”

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रुद्रप्रयाग, 6 मई 2025: चारधाम यात्रा के आरंभ होते ही जहां देश-विदेश से श्रद्धालु देवभूमि की ओर उमड़ पड़े हैं, वहीं केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकले यात्रियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण चेतावनी जारी की गई है। केदारनाथ यात्रा मार्ग पर सेवाएं देने वाले घोड़े-खच्चरों में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण पाए जाने के बाद पशुपालन विभाग ने तत्काल प्रभाव से बड़ा निर्णय लेते हुए अगले 24 घंटों तक सभी घोड़े-खच्चरों के संचालन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।
यह निर्णय तब लिया गया जब 4 मई को 8 और 5 मई को 6 घोड़े-खच्चरों की अचानक मृत्यु की सूचना सामने आई। इन असामान्य मौतों ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। पशुपालन सचिव डॉ. पुरुषोत्तम ने आपात बैठक कर हालात की समीक्षा की और वायरस की आशंका के मद्देनज़र यह सख्त आदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि संक्रमण को रोकने के लिए यह कदम आवश्यक है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारत सरकार के विशेषज्ञों की एक टीम रुद्रप्रयाग रवाना की गई है, जो स्थल पर पहुंचकर विस्तृत जांच करेगी। साथ ही, मृत और संदिग्ध पशुओं के सैंपल राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान, हिसार को भेजे गए हैं ताकि रोग की पुष्टि की जा सके। इस दौरान संक्रमित या लक्षणयुक्त पशुओं को तुरंत क्वारंटाइन किया जा रहा है।
डॉ. पुरुषोत्तम ने यह भी जानकारी दी कि 4 अप्रैल से 30 अप्रैल तक लगभग 16,000 घोड़े-खच्चरों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। केवल उन्हीं पशुओं को यात्रा मार्ग पर अनुमति दी गई थी, जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई। फिर भी, अचानक हुई इन मौतों ने वायरस के प्रसार की आशंका को प्रबल कर दिया है।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष रावत ने बताया कि जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती, यह प्रतिबंध जारी रहेगा। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति बीमार पशु से जबरन कार्य कराता पाया गया, तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह न केवल अन्य पशुओं के स्वास्थ्य, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी अनिवार्य है।
प्रशासन ने यात्रियों से अनुरोध किया है कि वे संयम और धैर्य रखें तथा किसी भी अफवाह पर विश्वास न करें। विभाग लगातार स्थिति पर निगरानी रखे हुए है और जैसे ही स्थिति सामान्य होगी, घोड़े-खच्चरों का संचालन पुनः आरंभ किया जाएगा।
यह निर्णय श्रद्धालुओं की सुरक्षा और पशुधन की रक्षा के लिए लिया गया है। यद्यपि यह असुविधाजनक प्रतीत हो सकता है, परंतु धार्मिक आस्था की इस यात्रा में सावधानी ही सबसे बड़ी श्रद्धा है।

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