ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुनिया में मच गया तहलका: ब्रह्मोस मिसाइल की माँग विश्व में क्यों हो रही ?
15 मई भारत की सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल अब केवल एक हथियार नहीं, बल्कि एक ब्रांड बन चुकी है। हाल ही में पाकिस्तान पर हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान इस मिसाइल के कथित उपयोग ने इसे वैश्विक फोकस में ला खड़ा किया है। यह पहली बार था जब भारत ने युद्धभूमि में ब्रह्मोस का इस्तेमाल किया। इस सटीक और अत्यंत घातक स्ट्राइक के बाद दुनियाभर के कई देशों की नजर इस “बैटल-टेस्टेड” मिसाइल पर टिक गई है।
ब्रह्मोस: भारत-रूस की संयुक्त ताकत
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित की गई है। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदियों के पहले अक्षरों से लिया गया है। यह एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जिसकी गति मैक 2.8 से 3.0 तक होती है — यानी आवाज की गति से लगभग तीन गुना तेज।
ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की भूमिका
सूत्रों के मुताबिक, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों पर हमला करते समय ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया। यह मिशन भारत की सैन्य रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। ब्रह्मोस की सटीकता, रफ्तार और दुश्मन की रडार से बच निकलने की क्षमता ने इसे एक “गेम-चेंजर” बना दिया है।
क्यों है ब्रह्मोस की इतनी माँग ?
1. सुपरसोनिक रफ्तार:
ब्रह्मोस की सबसे बड़ी खासियत इसकी स्पीड है। इसकी गति मैक 3 तक होती है, जिससे यह दुश्मन की रडार और इंटरसेप्टर्स को चकमा देकर आसानी से लक्ष्य को भेद सकती है।
2. पिन-पॉइंट प्रिसिशन:
ब्रह्मोस का सटीकता स्तर 1 मीटर के भीतर है, यानी यह ठीक टारगेट पर वार करता है। यही कारण है कि सैन्य विश्लेषक इसे surgical strikes के लिए आदर्श मानते हैं।
3. मल्टी-प्लेटफॉर्म लॉन्चिंग:
यह मिसाइल जमीन, समुद्र, सबमरीन और वायुयान से लॉन्च की जा सकती है। यह बहुआयामी उपयोग इसे अन्य मिसाइलों से अलग बनाता है।
4. स्वदेशी तकनीक और तेजी से अपग्रेड:
भारत ने इसमें स्वदेशी तकनीकों को शामिल कर इसे समय के साथ और उन्नत बनाया है। अब इसकी रेंज को 400-500 किमी तक बढ़ाया जा रहा है और अगली पीढ़ी की ‘हाइपरसोनिक ब्रह्मोस’ भी विकासशील चरण में है।
5. कम प्रतिक्रिया समय:
ब्रह्मोस दुश्मन को प्रतिक्रिया का समय नहीं देता। लॉन्च के कुछ ही मिनटों में यह लक्ष्य को नष्ट कर देता है, जिससे यह ‘first strike advantage’ देता है।
कौन-कौन से देश खरीदना चाहते हैं ब्रह्मोस?
वियतनाम:
दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए वियतनाम ने ब्रह्मोस की खरीद पर गहरी दिलचस्पी दिखाई है। भारत-वियतनाम रक्षा समझौते के तहत यह सौदा अंतिम चरण में है।
फिलीपींस:
फिलीपींस पहले ही भारत के साथ एक ब्रह्मोस डील पर साइन कर चुका है। यह दक्षिण चीन सागर में अपनी नौसैनिक क्षमता को मजबूत करने के लिए ब्रह्मोस को तट-रक्षा प्रणाली में शामिल करेगा।
सऊदी अरब:
सऊदी अरब, जो पहले पश्चिमी हथियारों पर निर्भर रहता था, अब भारत की बैटल-टेस्टेड मिसाइलों की ओर आकर्षित हो रहा है। ब्रह्मोस की मारक क्षमता और रेंज इसे एक आदर्श विकल्प बनाती है।
संयुक्त अरब अमीरात:
यूएई भी अपनी वायु और समुद्री रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए ब्रह्मोस को एक संभावित विकल्प मान रहा है। भारत के साथ बढ़ते रक्षा संबंध इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
ब्राजील और दक्षिण अमेरिका के अन्य देश:
ब्राजील जैसे देशों ने भी ब्रह्मोस में रुचि दिखाई है, खासकर इसे अपने नौसैनिक प्लेटफार्म में तैनात करने के लिए।
भारत को क्या लाभ?
- दुनिया के टॉप डिफेंस एक्सपोर्टर बनने की राह:
ब्रह्मोस की बिक्री भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी बना रही है। फिलहाल भारत का रक्षा निर्यात लगभग $2.5 बिलियन है, जो 2025 तक $5 बिलियन तक पहुंच सकता है। - राजनीतिक और कूटनीतिक मजबूती:
ब्रह्मोस जैसे हथियारों की बिक्री से भारत को रणनीतिक साझेदारों के साथ संबंध मजबूत करने का अवसर मिलता है, खासकर इंडो-पैसिफिक और पश्चिम एशिया में। - रोजगार और तकनीकी उन्नति:
ब्रह्मोस प्रोजेक्ट भारत में हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार दे रहा है और रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।
भारत अब ब्रह्मोस को और उन्नत बनाने पर काम कर रहा है:
- हाइपरसोनिक ब्रह्मोस: 2027 तक लॉन्च हो सकती है जिसकी गति मैक 7 से अधिक होगी।
- मिनी ब्रह्मोस (ब्रह्मोस-NG): हल्की और तेजी से लॉन्च की जाने वाली वर्जन, विशेष रूप से फाइटर जेट्स के लिए।
ऑपरेशन सिंदूर ने ब्रह्मोस मिसाइल को न केवल एक युद्ध-tested हथियार के रूप में साबित किया, बल्कि भारत के सैन्य, रणनीतिक और निर्यात क्षमता को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। अब भारत सिर्फ अपने रक्षा के लिए हथियार नहीं बना रहा, बल्कि दुनिया को “Made in India” सुरक्षा समाधान दे रहा है। आने वाले वर्षों में ब्रह्मोस भारत की रक्षा कूटनीति का सबसे चमकता सितारा बनने जा रही है।