मोदी सरकार का बड़ा दांव: पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मंच पर ठहरेंगे थरूर, अमेरिका और यूरोप में चलाएँगे कूटनीतिक अभियान

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नई दिल्ली,17 मई । देश में जहां सियासत का पारा चरम पर है, वहीं मोदी सरकार ने एक चौंकाने वाला लेकिन रणनीतिक कदम उठाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मोर्चे पर नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी है। थरूर अब एक ऑल-पार्टी डेलीगेशन का नेतृत्व करेंगे जो सबसे पहले अमेरिका और फिर यूरोप के कई देशों का दौरा करेगा।

यह फैसला 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में लिया गया है। भारत अब कूटनीतिक रूप से पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा हमला बोलने की तैयारी में है, और थरूर को इसकी अगुवाई सौंपना न केवल एक बड़े राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर सियासी मतभेदों को दरकिनार किया जा सकता है।

सूत्रों के अनुसार, विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में थरूर की भूमिका को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी है। इस डेलीगेशन में विभिन्न दलों के सांसदों को शामिल किया गया है ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की बात सर्वदलीय एकता के साथ रखी जा सके।

हालांकि तृणमूल कांग्रेस (TMC) के वरिष्ठ नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने स्वास्थ्य कारणों से शामिल होने से इनकार कर दिया है, जबकि समाजवादी पार्टी की ओर से राजीव राय का नाम प्रस्तावित किया गया है। TMC की ओर से अब तक कोई नया नाम नहीं दिया गया है।

डेलीगेशन का यह दौरा दस दिनों तक चलेगा, जहां सांसदों को क्षेत्रीय ब्लॉकों में विभाजित किया जाएगा। ये नेता वैश्विक नेताओं से मुलाकात कर पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क को लेकर सूचनाएं साझा करेंगे और अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने का प्रयास करेंगे।

इस घटनाक्रम को राजनीतिक एकजुटता का दुर्लभ उदाहरण माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी दलों के बीच टकराव की स्थिति बनी रहती है।

भारत की यह पहल साफ संकेत देती है—अब देश की सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा। शशि थरूर जैसे विपक्षी चेहरों को आगे रखकर मोदी सरकार यह संदेश देना चाहती है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत एकजुट है, मज़बूत है और मुखर है।

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