गुवाहाटी में “पहलगाम जैसी स्थिति” की धमकी से सनसनी, नाबालिग लड़की और परिवार को स्थानीय गिरोह से जान का खतरा!

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नई दिल्ली,17 मई । असम की राजधानी गुवाहाटी के भास्कर नगर इलाके में एक नाबालिग लड़की और उसके परिवार को लेकर स्थिति बेहद तनावपूर्ण होती जा रही है। परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्हें एक स्थानीय गिरोह द्वारा लगातार धमकाया, प्रताड़ित और हमला किया जा रहा है — और अब उन्हें खुलेआम चेतावनी दी गई है: “तुम्हारे साथ पहलगाम जैसी स्थिति करेंगे!”

इस धमकी ने इलाके में सांप्रदायिक तनाव की आहट और नागरिकों में दहशत पैदा कर दी है।

16 वर्षीय एक किशोरी के परिजनों ने बताया कि इब्राहिम अली नामक युवक महीनों से उनकी बेटी को बहलाने की कोशिश कर रहा था। जब परिवार ने इसका विरोध किया और लड़की के पास कथित रूप से दिया गया मोबाइल फोन जब्त किया, तो हालात बिगड़ गए।

इसके बाद, इब्राहिम अली अपने पिता और कुछ साथियों के साथ लड़की के घर आया और कथित रूप से खुलेआम जान से मारने की धमकी दी। लड़की के पिता ने कहा –
“उन्होंने साफ कहा कि तुम्हारे साथ पहलगाम जैसी स्थिति होगी। हम डरे हुए हैं। बेटी सदमे में है।”

परिवार का आरोप है कि इससे पहले भी उनके एक सदस्य पर शारीरिक हमला किया गया था। उन्होंने कई बार पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे आरोपियों के हौसले और बुलंद हो गए।

चांदमारी थाने के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शिकायत मिलने की पुष्टि की और कहा कि मामला सक्रिय जांच के अधीन है। पुलिस ने बयान दर्ज करना शुरू कर दिया है और डिजिटल साक्ष्यों की भी जांच की जा रही है।

घटना ने स्थानीय नागरिकों को झकझोर कर रख दिया है। एक समुदायिक नेता ने कहा –
“चाहे मामला अंतर-समुदायिक संबंध का हो या नाबालिग की सुरक्षा का – कानून सब पर बराबर लागू होना चाहिए।”

गुवाहाटी के वकील और सामाजिक कार्यकर्ता दिप्रदीप देब ने कहा –
“यह नाबालिग की सुरक्षा का गंभीर मामला है। अगर डराने-धमकाने या भावनात्मक शोषण के संकेत हैं, तो कानून तत्काल हस्तक्षेप की मांग करता है।”

अब पुलिस ने इलाके में गश्त बढ़ा दी है और परिवार को अतिरिक्त सुरक्षा देने का आश्वासन दिया है। साथ ही, प्रशासन ने लोगों से अफवाहें न फैलाने और सांप्रदायिक रंग न देने की अपील की है।

स्थानीय लोग अब न्याय और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि मामला जल्द सुलझे ताकि इलाके में फिर से सामाजिक सद्भाव बहाल हो सके।

यह मामला सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि समाज की संवेदनशीलता और प्रशासनिक तत्परता की परीक्षा है। जब “पहलगाम जैसी स्थिति” की धमकी खुलेआम दी जाने लगे, तो यह सिर्फ कानून व्यवस्था का नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का सवाल बन जाता है।

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