तुर्किये और अजरबैजान के खिलाफ भारत में बढ़ा विरोध: पर्यटन और व्यापारिक संबंधों पर मंडराया संकट
नई दिल्ली,15 मई । भारत में तुर्किये (तुर्की) और अजरबैजान के खिलाफ विरोध की लहर तेज़ होती जा रही है। हाल ही में दोनों देशों द्वारा भारत विरोधी बयानों और पाकिस्तान के साथ खुले समर्थन ने भारतीय नागरिकों और संगठनों को आक्रोशित कर दिया है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, विरोध की आग तेज़ी से फैल रही है, जिसका सीधा असर अब पर्यटन और व्यापारिक रिश्तों पर भी दिखने लगा है।
देश के कई हिस्सों में तुर्किये और अजरबैजान के झंडे जलाए गए हैं और इनके खिलाफ नारेबाज़ी हुई है। खासकर युवाओं और व्यापारिक संगठनों ने दो टूक कहा है – “जो देश भारत की संप्रभुता का सम्मान नहीं करते, उन्हें हम अपने देश में कारोबार या पर्यटन की इजाज़त नहीं देंगे।”
दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में प्रदर्शनकारियों ने तुर्की उत्पादों के बहिष्कार की मांग की है। मसाले से लेकर फर्नीचर तक, तुर्किये से आयातित वस्तुओं को दुकानों से हटाया जा रहा है।
तुर्किये, जो भारतीय पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य रहा है, अब बायकॉट की चपेट में है। बड़े टूर ऑपरेटरों ने इस्तांबुल, कप्पादोकिया और अंकारा जाने वाले पैकेज रद्द करने शुरू कर दिए हैं। कई यात्रियों ने पहले से बुक की गई यात्राएं रद्द कर दी हैं।
यात्रा विशेषज्ञों का कहना है कि “भारत से तुर्किये जाने वाले पर्यटकों की संख्या में अगले दो महीनों में 60% तक की गिरावट आ सकती है। यह तुर्की की पर्यटन अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका होगा।”
भारत और तुर्किये के बीच अरबों डॉलर का व्यापार होता है, लेकिन मौजूदा हालात ने इन संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है। व्यापारिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि तुर्किये और अजरबैजान से आयात पर कड़ी नजर रखी जाए और आवश्यकता पड़ने पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई जाए।
एक व्यापारिक संगठन के अध्यक्ष ने कहा, “जो देश हमारे विरोधियों के साथ खड़े होते हैं, उनसे व्यापार करना राष्ट्रीय स्वाभिमान के खिलाफ है। सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए।”
अजरबैजान द्वारा कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन और भारत विरोधी बयानों ने उसे भी भारतीय जनता के निशाने पर ला दिया है। सोशल मीडिया पर #BoycottAzerbaijan ट्रेंड कर रहा है और कई कंपनियों ने अजरबैजानी उत्पादों के आयात को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है।
हालांकि भारत सरकार ने अब तक कोई औपचारिक प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन विदेश मंत्रालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि “भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल उठाने वालों को जवाब दिया जाएगा।”
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह विरोध लंबे समय तक जारी रहा, तो तुर्किये और अजरबैजान की अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा, और भारत के कूटनीतिक रुख में भी बदलाव देखा जा सकता है।
तुर्किये और अजरबैजान के खिलाफ भारत में जो विरोध लहर उभरी है, वह सिर्फ भावनात्मक नहीं बल्कि रणनीतिक भी होती जा रही है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस जनभावना को किस तरह से नीति में तब्दील करती है। फिलहाल, दोनों देशों के साथ भारत के रिश्तों पर गहरा सवालिया निशान लग चुका है।