पत्नी को पति की संपत्ति मानने की सोच असंवैधानिक: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय
नई दिल्ली 19 अप्रैल 2025, दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला के पति की ओर से दायर व्यभिचार (एडल्टरी) के केस में आरोपीव्यक्ति को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा- पत्नी को पति की संपत्ति मानने की सोच अब असंवैधानिक है। यह मानसिकता महाभारत काल से चली आ रही है।
जस्टिस नीना बंसलकृष्णा ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक निर्णय का हवाला दिया, जिसमें आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक करार दिया गया था। यह कानून पितृसत्तात्मक सोच पर आधारित था, जिसमें पत्नी को अपराधी नहीं, बल्कि ऐसी महिला माना गया, जिसे बहकाया गया।
हाईकोर्ट ने कहा- महाभारतमें द्रौपदी को उसके पति युधिष्ठिर ने जुए में दांव पर लगा दिया था। द्रौपदी की कोई आवाज नहीं थी, उसकी गरिमा की कोई कद्र नहीं थी। यह सोच आज भी समाज में बनी हुई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया है।
पत्नी पर अफेयर का आरोप था
इस केस में महिला के पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी आरोपी के साथ अफेयर में थी और दोनों एक होटल में साथ रुके थे, जहां उन्होंने पति की अनुमति के बिना संबंध बनाए। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया था, लेकिन सेशंस कोर्टने उसे फिर से समन किया।
पति से अलग रह रही पत्नी का अन्य पुरुष से अवैध अंबंध ताे गुजारा भत्ता नहीं
एक अन्य मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पति से अलग रह रही ऐसी को गुजारे भत्ते का अधिकार नहीं है, जिसका किसी अन्य पुरुष के साथअवैध संबंध है। इस मामले में पत्नी काे गुजारा भत्ता देने की फैमिली काेर्ट के आदेश को चुनाैती देते हुए पति ने याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने दोनोंपक्षों को सुनने के बाद पति के हक में फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट के जस्टि सगिरीश कठपाड़िया ने फैसले में कहा कि गुजारा भत्ता मांगने वाली पत्नी एकतो पति से अलग रहती है और दूसरा उसके पराए मर्द से अवैध संबंध हैं।अवैध संबंध रखने वाली महिला को गुजारा भत्ता नहीं मिल सकता। अगरवह घरेलू हिंसा के चलते या किसी अन्य विवाद के चलते पति से अलगरहती, उसके अवैध संबंध न होते तो वह गुजारे भत्ते की हकदार होती।