JPC अध्यक्ष बोले- वक्फ विधेयक असंवैधानिक हुई तो इस्तीफा दूंगा
नई दिल्ली,18 अप्रैल। वक्फ विधेयक के असंवैधानिक होने के सवाल पर BJP नेता और जाइंट पार्लियामेंट कमेटी (JPC) के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने कहा था कि- अगर समिति की रिपोर्ट कानूनी रूप से गलत पाई जाती है तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा।
उन्होंने विपक्ष के धार्मिक भेदभाव फैलाने के दावों और वक्फ संपत्तियों और बोर्ड की सदस्यता के बारे में चिंताओं को नकारते हुए कहा कि ‘वक्फ बोर्ड कोई धार्मिक निकाय नहीं है, बल्कि एक कार्यकारी निकाय है, एक वैधानिक निकाय है जो सिर्फ संपत्तियों की देखभाल करता है।’
वहीं, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं को लेकर एक अहम निर्देश जारी किया। कोर्ट ने कहा है कि अब इस मामले में सिर्फ 5 याचिकाओं पर ही सुनवाई की जाएगी, जबकि बाकी करीब 65 याचिकाओं को हस्तक्षेप या पक्षकार याचिकाओं के रूप में जोड़ा जाएगा।
कोर्ट ने यह फैसला अदालत में ज्यादा भीड़ और कार्यवाही के दौरान होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए लिया है। कोर्ट ने यह भी बताया कि जिन 5 याचिकाओं पर सुनवाई होगी, उन्हें खुद याचिकाकर्ताओं ने आपसी सहमति से नामित किया है, ताकि सभी की बात सामने रखी जा सके और सुनवाई व्यवस्थित ढंग से हो।
इन 5 याचिकाओं में हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल है। वहीं, कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन का वक्त दिया है। सरकार के जवाब के बाद याचिकाकर्ताओं को 5 दिन में जवाब देना होगा। अगली सुनवाई 5 मई को दोपहर 2 बजे होगी।
केंद्र सरकार ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि 5 मई तक किसी भी वक्फ संपत्ति (वक्फ बाय यूजर संपत्ति, पहले से पंजीकृत या अधिसूचना के जरिये घोषित) से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। उन्हें डी-नोटिफाई भी नहीं किया जाएगा, न ही केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्डों में किसी गैर-मुस्लिम की नियुक्ति की जाएगी।
अगली सुनवाई तक कलेक्टर वक्फ संपत्ति को लेकर कोई आदेश भी जारी नहीं करेंगे। साथ ही कोर्ट ने मामले का कॉज टाइटल बदलकर ‘इन रे: वक्फ अमेंडमेंट एक्ट’ कर दिया है। इस मामले की सुनवाई CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ कर रही है।
AIMIM चीफ ओवैसी सहित इन 5 की याचिकाओं पर सुनवाई होगी
- अर्शद मदनी– इस्लामी विद्वान और दारुल उलूम देवबंद के वर्तमान प्रिंसिपल हैं।
- मुहम्मद जमील– सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं।
- मोहम्मद फजलुर्रहीम – ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हैं।
- शेख नूरुल हसन – मणिपुर नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के विधायक हैं।
- असदुद्दीन ओवैसी – AIMIM के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद हैं।
मकबूल याचिकाकर्ताओं और अग्रवाल सरकार नोडल वकील नियुक्त
इस केस में तीन नोडल वकीलों की भी नियुक्ति हुई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट एजाज मकबूल नोडल वकील होंगे। केंद्र सरकार की ओर से एडवोकेट कानू अग्रवाल कोर्ट में पक्ष रखेंगे। वहीं अन्य याचिकाकर्ताओं, जिन्हें हस्तक्षेपकर्ता के रूप में जोड़ा गया है, उनकी ओर से एडवोकेट विष्णु शंकर जैन को जिम्मेदारी दी गई है।
याचिका में 3 बड़ी बातें…
- कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता), 29 (अल्पसंख्यक अधिकार), और 300A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को शामिल करना और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को वक्फ संपत्ति का फैसला करने का अधिकार देना सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ाता है।
- यह कानून मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करता है, क्योंकि अन्य धार्मिक ट्रस्टों पर समान प्रतिबंध नहीं हैं।